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स्वाती राय चौधरी बगंला कविता के आगंन मै एक परिचित नाम हैं। अब तक उनकी तिन काब्यग्रन्थ प्रकाशित हो चुकी है जिन्हे पाठकों ने काफी सराहा।
आलोच्य पुस्तक ' कशमकश' हिन्दी कविताओं का एक सुंदर सकंलन है जिसे पढ़कर कभी भी यह महसुस नही हुआ कि उनकी मातृभाषा बगंला है। ईस (इ- पुस्तक) मे चुने हुए पंद्रह कवितायों को शामिल किया गया है जिसकी विशेषता है कि हर एक कविता हिंदी और बगंला दोनो अक्षरों लिखी हुई है।
कवि ने " ईनसानियत " के अलावा अन्य सभी कविताएं एक विशेष शैली मे लिखे हैं जिसे हिन्दी साहित्य मे छायावाद (neo romanticism) के नाम से जाना जाता है
और जिसका श्रेय हिन्दी के दिग्गज कवियों जैसे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेबी बर्मा को जाता है। ईस सकंलन की प्रायः सारी कविताएं दिल को छु लेती है मिशाल के तौर पर अनजान दिल, अब रहा नही जाता, जिंदगी जब आखरी मोड़ पर है और कशमकश का जिक्र किया जा सकता है
कवितायों का उचित मूल्यांकन पाठक करेंगे और मै आशा रखता हूं " कशमकश " की कविताएं उन्हे अच्छा लगेगा।
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