नादाँ दिल ~ पारमिता बसाक




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नादाँ दिल 

पारमिता  बसाक 


समेट ना तो हम भि चाहते थे 

पर किस्मत खफा है

दिल से जिसको भी चाहा

 निकला बेवफा है,

फिर भी नादान है ये दिल 

हर बार किसी को प्यार कर लेता है

जानता है फिर टुंटे गा 

फिर भी कहा संभल पाता है...

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